PKVY Yojana: किसानों के लिए केंद्र सरकार की तरफ से बड़ी राहत की खबर सामने आई है। खेती को अधिक टिकाऊ और लाभदायक बनाने के लिए सरकार अब किसानों को जैविक खेती की ओर प्रेरित कर रही है। इसी दिशा में परम्परागत कृषि विकास योजना (PKVY) को पूरे देश में लागू किया गया है। इस योजना का मकसद न केवल किसानों की आमदनी बढ़ाना है, बल्कि मिट्टी की सेहत और पर्यावरण संरक्षण को भी बढ़ावा देना है।
जैविक खेती को प्रोत्साहन देने के लिए शुरू हुई योजना
परम्परागत कृषि विकास योजना (PKVY) का मुख्य उद्देश्य किसानों को रासायनिक खेती से हटाकर जैविक खेती की दिशा में आगे बढ़ाना है। जैविक खेती से न केवल उत्पादन की गुणवत्ता में सुधार होता है, बल्कि फसल की लागत भी घटती है। सरकार चाहती है कि देश के लघु और सीमांत किसान कम निवेश में अधिक मुनाफा कमा सकें और रासायनिक उर्वरकों पर निर्भरता कम हो।
किसानों को मिलेगा ₹31,500 प्रति हेक्टेयर का आर्थिक सहयोग
PKVY योजना के तहत किसानों को तीन वर्षों की अवधि में प्रति हेक्टेयर ₹31,500 की आर्थिक सहायता दी जाती है। इसमें से ₹15,000 सीधे किसानों के बैंक खाते में डायरेक्ट बेनिफिट ट्रांसफर (DBT) के माध्यम से भेजे जाते हैं। इस राशि का उपयोग किसान जैविक बीज, खाद, वर्मी कम्पोस्ट और अन्य कृषि इनपुट्स की खरीद में कर सकते हैं। योजना का लाभ विशेष रूप से लघु और सीमांत किसानों को देने पर जोर दिया जा रहा है, ताकि वे टिकाऊ खेती अपना सकें।

पूर्वोत्तर राज्यों के लिए अलग योजना MOVCDNER
पूर्वोत्तर राज्यों के किसानों के लिए सरकार ने मिशन ऑर्गेनिक वैल्यू चेन डेवलपमेंट फॉर नॉर्थ ईस्ट रीजन (MOVCDNER) योजना शुरू की है। इस योजना के अंतर्गत किसानों को प्रति हेक्टेयर ₹46,500 की सहायता दी जा रही है। इसमें ₹32,500 जैविक खेती से जुड़े इनपुट्स पर खर्च किए जाते हैं, जबकि ₹15,000 सीधे किसानों को DBT के माध्यम से दिए जाते हैं। इस योजना के जरिए किसानों को किसान उत्पादक संगठनों (FPOs) से जोड़ा जा रहा है, ताकि वे सामूहिक रूप से बाजार तक पहुंच बनाकर अपनी उपज का बेहतर दाम प्राप्त कर सकें।
किसानों को हर स्तर पर मिलेगा एंड-टू-एंड सपोर्ट
सरकार की यह पहल केवल आर्थिक सहायता तक सीमित नहीं है, बल्कि किसानों को बीज, जैविक खाद, प्रमाणन, पैकेजिंग, ब्रांडिंग और मार्केटिंग तक हर स्तर पर सहयोग प्रदान किया जा रहा है। इससे किसानों को अपनी उपज को अंतरराष्ट्रीय बाजारों तक पहुंचाने का अवसर मिलेगा और भारतीय जैविक उत्पादों की विश्वसनीयता भी बढ़ेगी।
आत्मनिर्भर किसान और स्वच्छ पर्यावरण की दिशा में कदम
PKVY और MOVCDNER जैसी योजनाएं किसानों को आत्मनिर्भर बनाने के साथ-साथ पर्यावरण संरक्षण में भी महत्वपूर्ण भूमिका निभा रही हैं। जैविक खेती से न केवल मिट्टी की उर्वरता बनी रहती है बल्कि पानी और हवा की गुणवत्ता में भी सुधार होता है। विशेषज्ञों का मानना है कि यदि किसान इन योजनाओं का सही तरीके से लाभ उठाएं, तो भारत आने वाले वर्षों में वैश्विक स्तर पर जैविक खेती का केंद्र बन सकता है।
सरकार की योजनाएं देंगी किसानों को नया भविष्य
इन योजनाओं के माध्यम से किसानों को स्थायी आय का स्रोत मिलेगा और खेती को एक लाभकारी व्यवसाय में बदला जा सकेगा। सरकार का लक्ष्य है कि अधिक से अधिक किसान पारंपरिक खेती से हटकर जैविक और टिकाऊ कृषि पद्धतियों को अपनाएं। इससे किसानों की आय बढ़ेगी, साथ ही भारत का कृषि क्षेत्र पर्यावरण के अनुकूल दिशा में आगे बढ़ेगा।
निष्कर्ष
परम्परागत कृषि विकास योजना (PKVY) और MOVCDNER योजनाएं भारतीय किसानों के लिए एक नया अवसर लेकर आई हैं। ₹31,500 प्रति हेक्टेयर की सहायता न केवल किसानों की आर्थिक स्थिति को मजबूत करेगी, बल्कि खेती को पर्यावरण के अनुकूल बनाने में भी अहम भूमिका निभाएगी। यह योजनाएं प्रधानमंत्री के ‘डबल इनकम’ के लक्ष्य को साकार करने की दिशा में मजबूत कदम हैं।